विज्ञान अनसोल्व पेपर 2021 Science Unsolved Paper 2021 Set 1 (824 HX) खण्ड-ख

विज्ञान अनसोल्व पेपर 2021

Science Unsolved Paper 2021

Set 1 (824 HX)

खण्ड-ख


5. (क) आवर्त सारणी में आवर्त के बायीं तरफ से दायीं तरफ चलने पर परमाणु क्रमांक

(i) बढ़ता है

(ii) घटता है

(iii) नियत रहता है

(iv) पहले बढ़ता है फिर घटता है

उत्तर - (i) बढ़ता है


(ख) निम्न कौन-सा यौगिक अम्लीय प्रकृति का है ?

(i) CH3CHO

(ii) CH3 – CH3

(iii) CH3COOH

(iv)CH4

उत्तर - (iii) CH3COOH


(ग) विरंजक चूर्ण का रासायनिक सूत्र है   

(i) Na2CO3 . 10H2O

(ii) CaOCl2

(iii) NaOH

(iv) K2 CO3

उत्तर - (ii) CaOCl2

 

6. (क) निम्नलिखितकों का संरचना सूत्र लिखिए

(i) ब्यूटेनोन 

(ii) 2-मेथिल प्रोपेनाल- 1

उत्तर-


(i)


(ii) 


 (ख) आधुनिक आवर्त नियम क्या है? आवर्त सारणी में कुल कितने आवर्त है? 

उत्तर- आधुनिक आवर्त नियम : आधुनिक आवर्त नियम कहता है "तत्वों के रासायनिक एवं भौतिक गुण-धर्म उनके परमाणु संख्याओं के आवर्ती फलन होते हैं"।

 आवर्त सारणी में क्षैतिज स्थिति में कुल 7 आवर्त हैं।


(ग) निम्न प्रत्येक यौगिक के दो उपयोग लिखिए

(i) बेकिंग सोडा

(ii) सोडियम हाइड्राक्साइड

उत्तर- (i) बेकिंग सोडा के उपयोग -

1. यह कोल्ड ड्रिंक तथा सोडावाटर बनाने में प्रयोग होता है।

2. यह बेकिंग पाउडर में प्रयोग होता है।

3. इसे कच्चे दूध में मिलाने पर दूध देर में फटता है।

4. आग बुझाने के यन्त्रों में प्रयोग होता है। 5. यह प्रयोगशाला में अभिकर्मक के रूप में प्रयोग किया जाता है।

6. औषधि के रूप में पेट की अम्लता (acidity) दूर करने में प्रयोग होता है।

(ii) सोडियम हाइड्राक्साइड के उपयोग - 

(i) इसका उपयोग साबुन उद्योग में होता है। 

(ii) इसका उपयोग रेयॉन बनाने में होता है। 

(iii) इसका उपयोग प्रयोगशाला में अभिकारक के रूप में होता है। 

(iv) इसे कागज़ तथा कपड़ा उद्योग में भी प्रयोग किया जाता है।

* केवल दो ही लिखना पर्याप्त है


7. (क) तत्व A का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 8, 1 है। आवर्त सारणी में तत्व A की आवर्त संख्या तथा वर्ग संख्या क्या होगी?

उत्तर - चूँकि तत्व के बाहरी चक्र में केवल 1 इलेक्ट्रॉन है अतः यह पहले वर्ग का अर्थात IA वर्ग का तत्व है। चूँकि विन्यास के आधार पर इसमें 4 कोश है अतः यह चतुर्थ आवर्त का तत्व है ।

(ख) निम्न रासायनिक अभिक्रिया को संतुलित कीजिए:


8. (क) क्या होता है जबकि (केवल अभिक्रिया लिखिए ) -


(i) सोडियम कार्बोनेट एसिटिक अम्ल के साथ अभिक्रिया करता है ?

उत्तर - 

(ii) सोडियम हाइड्राक्साइड एसिटिक अम्ल के साथ अभिक्रिया करता है?


(iii) सोडियम, एथिल एल्कोहल के साथ अभिक्रिया करता है?


(iv) ऐसिटिक अम्ल के साथ एथिल एल्कोहल अभिक्रिया करता है ?


(v) एथिल एल्कोहल सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ 443 K पर गर्म किया जाता है?


खण्ड क http://rksirblogs.blogspot.com/2022/02/physics-2021-science-unsolved-paper.html

खण्ड ख http://rksirblogs.blogspot.com/2022/02/2021-science-unsolved-paper-2021-set-1.html

खण्ड ग 

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विज्ञान अनसोल्व पेपर 2021
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Set 1 (824 HX)

खण्ड-क

1. (क) जब श्वेत प्रकाश एक प्रिज्म पर आपतित होता है, तो किस रंग का विचलन अधिकतम हो है?

(i) लाल

(ii) हरा

(iii) पीला

(iv) बैंगनी

उत्तर (iv) बैंगनी


(ख)  एक दर्पण की वक्रता त्रिज्या 40 सेमी है। उसकी फोकस दूरी होगी
 
(i) 20 सेमी 
 
(ii) 40 सेमी 

(iii) 80 सेमी 

(iv) 160 सेमी

उत्तर (i) 20 सेमी 


(ग) बिजली के बल्ब का फिलामेंट बना होता हैं

(i) ताँबे का

(ii) टंगस्टन का

(iii) नाइक्रोम का

(iv) एल्यूमीनियम का

उत्तर (ii) टंगस्टन का

(घ) चुम्बकीय क्षेत्र में धारावाही चालक पर कार्यकारी बल की दिशा ज्ञात करने के लिए नियम है।

(i) ओम का नियम

(ii) लेंज का नियम

(iii) फ्लेमिंग के दायें हाथ का नियम

(iv) फ्लेमिंग के बायें हाथ का नियम

उत्तर (iv) फ्लेमिंग के बायें हाथ का नियम


2. (क) प्रिज्म द्वारा अपवर्तन को समझाइये।

उत्तर.  
ABC एक प्रिज्म है। एक किरण PQ तल AB से अपवर्तित होकर QR दिशा में चली जाती है। यह किरण अब प्रिज्म के दूसरे तल AC पर पड़ती है तथा अपवर्तन के बाद RS दिशा में बाहर निकल जाती है। आपतित किरण PQ को आगे बढ़ाने तथा निर्गत किरण RS को पीछे बढ़ाने पर यह एक-दूसरे को बिन्दु D पर काटती हैं। इस प्रकार आपतित किरण PO तथा निर्गत किरण RS के बीच बने कोण को विचलन कोण कहते हैं तथा अक्षर δ से प्रदर्शित करते हैं। किसी विशेष आपतन कोण के लिए δ का मान न्यूनतम होता है।
इसे अल्पतम विचलन कोण कहते हैं तथा δm से प्रदर्शित करते हैं।
 यदि प्रिज्म का कोण A तथा उसका अल्पतम विचलन कोण δm हो तो प्रिज्म के पदार्थ का अपवर्तनांक n निम्न सूत्र से निकाला जा सकता है
 


(ख) मानव नेत्र के निकट बिन्दु और दूर बिन्दु में विभेद कीजिए।

निकट बिन्दु - वह न्यूनतम दूरी जिस पर रखी कोई वस्तु बिना किसी तनाव के अत्यधिक स्पष्ट देखी जा सकती है, उसे सुस्पष्ट दर्शन की अल्पतम दूरी कहते हैं। इसे नेत्र का निकट बिन्दु भी कहते हैं।

दूर बिन्दु - वह दूरतम बिन्दु जिस तक कोई नेत्र वस्तुओं को सुस्पष्ट देख सकता है, नेत्र का दूर बिन्दु कहलाता है। सामान्य नेत्र के लिए यह अनंत दूरी पर होता है।


(ग) उत्तल लेंस द्वारा प्रतिबिम्ब निर्माण को दर्शाइये जब वस्तु प्रकाशिक केन्द्र व फोकस के मध्य हो।

उत्तर- वस्तु प्रकाशिक केन्द्र तथा फोकस के बीच स्थित है-वस्तु की इस स्थिति में प्रतिबिम्ब लेन्स के उसी ओर, वस्तु के पीछे, आभासी, सीधा तथा वस्तु से बड़ा बनता है।

3. (क) एक व्यक्ति 30 सेमी से अधिक दूर की वस्तुओं को नहीं देख सकता है। यह कौन-सा दृष्टिदोष है? इसके निवारण के लिए प्रयुक्त लेंस की प्रकृति और फोकस दूरी ज्ञात कीजिए।

उत्तर - चूँकि व्यक्ति 30cm से अधिक दूर की वस्तुओं को नहीं देख सकता है इसलिए उसकी आँखों में निकट दृष्टि दोष है। इस दोष को दूर करने के लिए व्यक्ति को अवतल लेंस के चश्मे का प्रयोग करना होगा।
वस्तु की लेंस से दूरी u = ∞
प्रतिबिम्ब की लेंस से दूरी v = - 30 cm
फोकस दूरी f = ?
लेंस सूत्र से,
(1 / f)  = (1 / v) - (1 / u)
            = 1 / (-30) - 1 / ∞
            = 1 / (-30) - 0
            = 1 / (-30)
f = -30 cm
अर्थात व्यक्ति को 30 सेमी फोकस दूरी वाले अवतल लेंस के चश्मे की आवश्यकता है।

अथवा 

एक प्रकाश की किरण माध्यम-I से चलकर चित्रानुसार माध्यम-II में प्रवेश करती है। कौन-सा माध्यम सघन है? माध्यम-I के सापेक्ष माध्यम II का अपवर्तनांक ज्ञात कीजिए।
उत्तर- चूँकि, आपतन कोण < अपवर्तन कोण
इसलिए माध्यम 1 सघन माध्यम है।

1n2 = Sin i / Sin r

       = Sin 30° / Sin 45°

       = (1/2) / (1/ √2)

         = (1/2) × (√2 / 1)

        = 1 / √2


(ख) किसी चालक तार का प्रतिरोध किन-किन कारकों पर निर्भर करता है? 

उत्तर-  एक निश्चित ताप पर किसी चालक तार का प्रतिरोध तार की लम्बाई, अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल तथा पदार्थ पर निम्न प्रकार निर्भर करता है
 (A) किसी तार का प्रतिरोध R उसकी लम्बाई l के अनुक्रमानुपाती होता है, 
 R ∝ l                ......(¡)

(B) किसी तार का प्रतिरोध R उसके अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल A के व्युत्क्रमानुपाती होता है, 
R ∝ 1/A           .......(¡¡)

(c) समान लम्बाई तथा समान अनुप्रस्थ काट के भिन्न-भिन्न पदार्थों से बने तारों का प्रतिरोध भिन्न-भिन्न होता है।
समीकरण (¡) व (¡¡) से

R ∝ l / A
R = ρ l / A
जहाँ ρ एक नियतांक है, जिसे तार के पदार्थ का विशिष्ट प्रतिरोध कहते हैं। इसका मात्रक Ω मीटर होता है।



अथवा

एक तार से 5 एम्पियर की धारा प्रवाहित हो रही है। 10 मिनट में तार से कितना आवेश प्रवाहित होगा? तार से प्रति सेकंड प्रवाहित इलेक्ट्रॉनों की संख्या ज्ञात कीजिए।

उत्तर - 
धारा (i) = 5 एम्पियर
समय (t) = 10 मिनट
             = 10 × 60 सेकेंड
             = 600 सेकेंड
आवेश (q) = ?
q = it
   = 5 × 600 कूलाम
   = 3000 कूलाम

q = ne.    
n = q / e
n = 3000 / 1.6 × 10 -19 
n = (30000 × 10 19 ) /16
n =    (30 × 10 22 ) / 16
n = 1.875 × 10 22

 4. प्रत्यावर्ती धारा जनित्र के सिद्धांत, संरचना तथा क्रियाविधि का नामांकित सचित्र वर्णन कीजिए।

 उत्तर- विद्युत जनित्र का सिद्धान्त विद्युत जनित्र विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के सिद्धान्त पर कार्य करता है अर्थात् परिवर्तनशील चुम्बकीय क्षेत्र के कारण चालक में विद्युत धारा प्रेरित होती है। फ्लेमिंग के दाएँ हस्त के नियम से प्रेरित धारा की दिशा ज्ञात करते हैं। विद्युत जनित्र में आर्मेचर को शक्तिशाली चुम्बकों के ध्रुवों के बीच घुमाया जाता है जिसके कारण आर्मेचर से गुजरने वाली चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं की संख्या में परिवर्तन होता है तथा प्रेरित धारा उत्पन्न होती है।
 संरचना -(i) ABCD आर्मेचर अपने अक्ष के चारों तरफ घूर्णनशील होता है। 
(ii) आर्मेचर पर अवरोधी ताँबे की तार की लपेटें होती हैं।
(iii) ताँबे की तारों की दो सिरे धातु के बने दो वलय S1 एवं S2 से जुड़े होते हैं। ये दोनों वलय स्थिर दो कार्बन ब्रुशों B1 एवं B2 के सम्पर्क में रहते हैं।
(iv) दोनों ब्रुशों का सम्पर्क गैल्वेनोमीटर (G) से होता है। 

कार्यविधि- (i) आर्मेचर को यांत्रिक रूप से दो शक्तिशाली चुम्बकों के ध्रुवों के बीच घुमाया जाता है। 
(ii) दो वलय भी घूमते हैं किन्तु दोनों वलय अलग-अलग दोनों कार्बन ब्रुशों के सम्पर्क में रहते हैं।
(iii) गति के समय जब AB भुजा ऊपर एवं CD नीचे की तरफ रहती है, आर्मेचर में धारा की दिशा A से B एवं C से D होती है।
(iv) यदि आर्मेचर की भुजा CD ऊपर एवं AB नीचे हों तो फ्लेमिंग के दाएँ हस्त के नियम से धारा की दिशा D से C एवं B से A की तरफ हो जाती है। इस प्रकार आर्मेचर के एक घूर्णन में धारा की दिशा दो बार परिवर्तित होती है। अतः इस यंत्र द्वारा प्रत्यावर्ती धारा उत्पन्न होती है।

   अथवा

विद्युत चुम्बकीय प्रेरण से क्या तात्पर्य है? फैराडे के विद्युत चुम्बकीय प्रेरण संबंधी प्रयोग समझाइये। प्रेरित धारा की दिशा ज्ञात करने वाले नियम लिखिए।

उत्तर- फैराडे के विद्युत चुम्बकीय प्रेरण सम्बन्धी निम्न दो नियम हैं
 (i) प्रथम नियम- जब किसी बन्द कुण्डली में से गुजरने वाले चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन होता है तो उस कुण्डली में एक प्रेरित विद्युत वाहक बल उत्पन्न हो जाता है तथा कुण्डली में प्रेरित धारा बहने लगती है। यह धारा केवल तभी तक बहती है जब तक कि चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन होता रहता है।

(ii) द्वितीय नियम - बन्द कुण्डली में उत्पन्न प्रेरित विद्युत वाहक बल का मान, चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन की दर के अनुक्रमानुपाती होता है अर्थात्
  जहाँ Φप्रारम्भिक फ्लक्स तथा Φ , t समय बाद का फ्लक्स है (ॠण का चिह्न केवल यह प्रदर्शित करता है कि प्रेरित विद्युत वाहक बल, फ्लक्स परिवर्तन का विरोध करता है)।

  प्रयोग द्वारा विद्युत चुम्बकीय प्रेरण का प्रदर्शन - पृथक्कित तारों की एक कुण्डली बनाकर चित्र के अनुसार एक परिपथ तैयार करते हैं।
 जब हम एक छड़ चुम्बक के उत्तरी ध्रुव N को कुण्डली की ओर लाते हैं तो धारामापी में एक विक्षेप आता है। धारामापी में यह विक्षेप कुण्डली में उत्पन्न प्रेरित विद्युत वाहक बल के कारण होता है। जब हम चुम्बक को कुण्डली से दूर ले जाते हैं तो धारामापी में पुनः विक्षेप आता है, लेकिन यह विक्षेप पहले के विपरीत दिशा में होता है।

  इसी प्रकार जब हम छड़ चुम्बक के दक्षिणी ध्रुव S को कुण्डली के पास लाते हैं या दूर ले जाते हैं तो प्रत्येक दशा में विक्षेप पहले वाले विक्षेप से विपरीत दिशा में होता है।

   उपर्युक्त प्रयोग में धारामापी में विक्षेप केवल तभी तक होता है जब तक कुण्डली तथा चुम्बक में आपेक्षिक गति होती है। दोनों के स्थिर रहने या दोनों के समान वेग से एक ही दिशा में चलने पर धारामापी में कोई विक्षेप नहीं आता है। स्पष्ट है कि सेल न होने पर भी धारामापी में क्षणिक विक्षेप आता है। अतः इस प्रयोग से विद्युत चुम्बकीय प्रेरण का प्रदर्शन होता है। कुण्डली में प्रेरित विद्युत वाहक बल अथवा प्रेरित धारा की दिशा का निर्धारण लेन्ज के नियम (Lenz's Law) द्वारा होता है।

विज्ञान मॉडल पेपर 2022 कक्षा 10 खण्ड-ग (जीव विज्ञान) हल सहित

विज्ञान मॉडल पेपर 2022
कक्षा 10
खण्ड-ग (जीव विज्ञान)

9. (क) निम्नलिखित क्रियाओं में से किसमें ऑक्सीजन निकलती है?

(a) प्रकाश-संश्लेषण

(b) ऑक्सी-श्वसन

(c) अनॉक्सी-श्वसन

(d) उत्सर्जन

उत्तर (a) प्रकाश-संश्लेषण

(ख) एक तंत्रिका कोशिका का ऐक्सॉन अगली तंत्रिका कोशिका के डेंड्राइटों के समीप होता है? दो तंत्रिका कोशिकाओं की इस संधि को क्या कहते हैं?

(a) सिनेप्स

(b) संवेदी तंत्रिकाएँ

(c) मिश्रित तंत्रिकाएँ

(d) प्रेरक तंत्रिकाएँ

उत्तर (a) सिनेप्स

(ग) ओजोन का अणुसूत्र है

(a)  O3


(b) O2

 

(c) O


(d) O4


उत्तर (a) O3

(घ) सौर कुकर के पृष्ठ भाग को कौन-से रंग से पोता जाता है ताकि वह अधिक-से-अधिक ऊष्मा को अवशोषित कर सके ?

(a) सफेद

(b) पीला

(c) लाल

(d) काला

उत्तर (d) काला

10. (क) श्वसन के लिए ऑक्सीजन प्राप्त करने की दिशा में एक जलीय जीव की अपेक्षा  स्थलीय जीव किस प्रकार लाभप्रद है?

उत्तर. जलीय जीव जल में घुली हुई ऑक्सीजन का श्वसन के लिए उपयोग करते हैं। जल में घुली हुई ऑक्सीजन की मात्रा वायु में उपस्थित ऑक्सीजन की मात्रा की तुलना में बहुत कम है। इसलिए जलीय जीवों के श्वसन की दर स्थलीय जीवों की अपेक्षा अधिक तेज़ होती है।

(ख) एक तंत्रिका कोशिका (न्यूरॉन) की संरचना बनाइये तथा इसके कार्यों का वर्णन कीजिए।

उत्तर :

न्यूरॉन के कार्य-(i) संवेदी कार्य-न्यूरॉन उद्दीपन ग्रहण करते हैं तथा इसे मेरुरज्जु और मस्तिष्क (CNS) को प्रेषित करते हैं।
(ii) न्यूरॉन संयुक्त रूप से उद्दीपन का विश्लेषण करते हैं एवं शरीर के कार्यों का नियंत्रण व समन्वय करते हैं।
(iii) न्यूरॉन सूचना/संदेश को मस्तिष्क से प्रभावित अंग तक पहुँचाते हैं। ये मोटर तंत्रिकाएँ होती हैं। न्यूरॉन प्रतिवर्ती क्रियाएँ करते हैं जो अचानक और तीव्र प्रतिक्रियाएँ होती हैं।

(ग) विखण्डन द्वारा प्रजनन क्रिया को समझाइए।

उत्तर. जीव दो या दो से अधिक भागों में विभक्त होकर नये जीवों का निर्माण करें तो यह क्रिया विखंडन कहलाती है। इसके दो भाग हैं- (i) द्वि-विखंडन तथा (ii) बहु-विखंडन।
जैसे - अमीबा, हाइड्रा आदि

11. (क) जीवाश्मी ईंधन की क्या हानियाँ हैं?

उत्तर. (i) जीवाश्म ऊर्जा का अनवीकरणीय स्रोत हैं जो कि सीमित हैं।
 (ii) इसके ज्वलन से कार्बन, नाइट्रोजन और सल्फर के ऑक्साइड्स उत्पन्न होते हैंजो स्वस्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं। ये जल और भूमि संसाधनों पर भी बुरा प्रभाव डालता है।
 (iii) कार्बन डाइऑक्साइड ग्रीन हाउस प्रभाव से वातावरण तापमान में वृद्धि होती है।

अथवा

ओजोन क्या है तथा यह किसी पारितंत्र को किस प्रकार प्रभावित करती है?

यह ऑक्सीजन के तीन अणुओं की सूर्य के प्रकाश (UV rays) की उपस्थिति में अभिक्रिया द्वारा बनती है। ओजोन पृथ्वी की सतह पर एक आवरण बनाती है जो पराबैंगनी विकिरणों से बचाती है। क्योंकि पराबैंगनी विकिरण हमारे लिए बहुत हानिकारक है। इस प्रकार यह पारितंत्र को नष्ट होने से बचाती है।

(ख) संसाधनों के दोहन के लिए कम अवधि के उद्देश्य के परियोजना के क्या लाभ हो सकते हैं? 

उत्तर. 1) यह पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने के लिए ज़रूरी है। 
2) जैविक विविधता बनी रहे।
 3) यह भूमि के कटाव को रोकते हैं। 
 4) वन्य जीवन के संरक्षण के लिए और उन्हें आश्रय प्रदान करने के लिए।


अथवा


मूत्र बनने की मात्रा का नियमन किस प्रकार होता है?

उत्तर. (1) जल की मात्रा पुनरावशोषण शरीर में उपलब्ध अतिरिक्त जल की मात्रा पर तथा कितना जल की मात्रा पर तथा कितनी विलेय वयं उत्सर्जित करना है, पर निर्भर करता है।
(2) जैसे गर्मी के दिनों में शरीर से अत्यधिक पसीने के द्वारा जल एवं लवण निष्कासित होते हैं। इसलिए वृक्क के द्वारा छने हुए मूत्र में विद्यमान जल एवं लवण की अधिकांश मात्रा पुनः अवशोषित कर ली जाती है। अतः मूत्र कम मात्रा में उत्सर्जित होते हैं, इसके विपरीत सर्दियों में कम पसीना आता है, इसलिए मूत्र अधिक बनता है। जल एवं लवण पुनरवशोषण हार्मोन के द्वारा नियंत्रित होते हैं।
(3) अतः मूत्र निर्माण पर नियंत्रण रक्त के ऑसमोटिक सन्तुलन को भी बनाए रखता है।

12. प्रकृति में जल-चक्र को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर. जल चक्र का तात्पर्य पृथ्वी के स्थल मंडल, जल मंडल तथा वायुमंडल के बीच होने वाले जल के चक्रीय प्रवाह से है।जल एक चक्र के रूप में महासागर, से धरातल पर और धरातल से महासागर तक पहुँचता है। इसमें, जल के विभिन्न स्रोतों से जीवों के बीच जल का आदान प्रदान भी शामिल है। निम्न चित्र के माध्यम से जल चक्र को समझा जा सकता है।
जल चक्र में वाष्पीकरण, वाष्पोत्सर्जन, संघनन, वर्षन, अंतःस्पंदन, अपवाह तथा संग्रहण की प्रक्रिया शामिल है। वाष्पीकरण के तहत गर्मी के प्रभाव से धरातल अथवा समुद्र का जल वाष्प बनकर उपर उठता है, वहीं वाष्पोत्सर्जन की प्रक्रिया जीवित प्राणियों में होती है। इनसे बनने वाला वाष्प संघनन की क्रिया के द्वारा बादल में परिवर्तित हो जाता हैं, फिर वर्षण की प्रक्रिया के द्वारा बादल के रूप में संगृहीत जल वर्षा की बूंदों तथा हिमपात के रूप में नीचे गिरता है।

पुनः ये जल या तो अंतःस्पंदन की प्रक्रिया द्वारा भूमि के नीचे रिसता हैं अथवा अपवहन की प्रक्रिया द्वारा धरातलीय स्रोतों से बहते हुए बड़ी जल निकायों में संगृहीत होता है। पुनः यह संगृहीत जल वाष्पीकरण की प्रक्रिया द्वारा वायुमंडल मे निर्गमित होता है। इस प्रकार जल चक्र की प्रक्रिया पूरी होती है।

अथवा

संतति में नर एवं मादा जनकों द्वारा आनुवंशिक योगदान में बराबर की भागीदारी किस प्रकार सुनिश्चित की जाती है?

उत्तर. मनुष्य में 23 जोड़े अर्थात् 46 गुण सूत्र पाए जाते हैं। इनमें से 22 जोड़े अलिंगी गुण सूत्र और 23वां जोड़ा लिंगी गुण सूत्र कहलाता है। नर में XY गुण सूत्र और मादा में XX गुण सूत्र होते हैं। प्रजनन कोशिका के निरंतर विभाजन से ही जनन संभव हो पाता है। जब लैंगिक जनन की प्रक्रिया में संतति की रचना होती है तब नर और मादा उसे समान रूप से आनुवंशिक पदार्थ प्रदान करते हैं। इसी कारण संतति में नर और मादा जनकों द्वारा आनुवंशिक योगदान में बराबर की भागीदारी सुनिश्चित की जाती है।

प्रश्न - ओजोन क्या है? तथा यह किसी पारितंत्र को किस प्रकार प्रभावित करती है?

प्रश्न - ओजोन क्या है? तथा यह किसी पारितंत्र को किस प्रकार प्रभावित करती है?

उत्तर- ओजोन ऑक्सीजन का एक अपर रूप है। इसका एक अणु ऑक्सीजन (O) के तीन परमाणुओं से मिलकर बना होता है। इसका अणुसूत्र Oहै।


यह ऑक्सीजन के तीन अणुओं की सूर्य के प्रकाश ( UV rays) की उपस्थिति में अभिक्रिया द्वारा बनती है।


ओजोन पृथ्वी की सतह पर एक आवरण बनाती है जो पराबैंगनी विकिरणों से बचाती है। क्योंकि पराबैंगनी विकिरण हमारे लिए बहुत हानिकारक है। इस प्रकार यह पारितंत्र को नष्ट होने से बचाती है।


पराबैगनी विकिरण , अल्ट्रावायलेट रेज़, Ultraviolet Rays, UV Rays सभी एक ही चीज के अलग नाम हैं।

विज्ञान क्या है ? विज्ञान की प्रमुख शाखाओं का वर्णन करें ।

प्रश्न- विज्ञान क्या है ?


उत्तर- प्रयोग, निरीक्षण एवं निष्कर्ष पर आधारित क्रमबद्ध, सुव्यवस्थित एवं सुस्पष्ट विशेष ज्ञान को विज्ञान कहते हैं ।

प्रश्न- विज्ञान की प्रमुख शाखाओं का वर्णन करें । उत्तर- विज्ञान की प्रमुख शाखाएँ निम्नलिखित हैं :

(i) भौतिकी (Physics) : विज्ञान की वह शाखा जिसमें ऊर्जा के विभिन्न स्वरूपों, द्रव्य से उसकी अन्योन्य क्रियाओं तथा पदार्थ के भौतिक गुणों का अध्ययन किया जाता है, भौतिकी कहलाता है ।

(ii) रसायन शास्त्र (Chemistry ) : विज्ञान की वह शाखा जिसके अंतर्गत पदार्थ की भौतिक अवस्था, उनके गुणों एवं उनके बीच होनेवाली अभिक्रियाओं का अध्ययन किया जाता है, रसायन विज्ञान कहलाता है ।

(iii) जीव विज्ञान (Biology) : जीव विज्ञान, विज्ञान की वह शाखा है जो जीव-जन्तुओं के आंतरिक एवं वाह्य भाग की पूर्ण जानकारी देती है ।