Science Unsolved 2021 Class 10 Science Set 2 (824 HZ) खण्ड ख रसायन विज्ञान

Science Unsolved 2021 
Class 10
Science
Set 2 (824 HZ)

खण्ड ख
रसायन विज्ञान

5. (क) उदासीनीकरण अभिक्रिया होती है
(i) अम्ल एवं अम्लीय लवण में
(ii) क्षार एवं क्षारीय लवण में 
(iii) अम्ल एवं क्षार में
(iv) अम्ल एवं जल में
उत्तर- (iii) अम्ल एवं क्षार में

(ख) धावन सोडा की प्रकृति होती है,
(i) अम्लीय 
(ii) क्षारीय
(iii) उदासीन
(iv) इनमें से सभी
उत्तर - (ii) क्षारीय

(ग) ब्यूटेनोन में क्रियात्मक समूह है,
(i) - OH
(ii) — CHO
(iii) >C = O
(iv) -COOH
उत्तर - (iii) >C = O

6. (क) निम्न में से अम्ल एवं क्षारक की पहचान कर, कारण बतायेः 
(1) NH3 (ii) H2S

(i) NHएक क्षार है क्योंकि यह जल से क्रिया करके OH- तथा NH4आयन बनाता है।

(ii) H2S अम्ल है क्योंकि S परमाणु के बड़े आकार के कारण H-S बन्ध, H-O बन्ध की तुलना में कमजोर होता है।

(ख) विकर्ण सम्बन्ध को उदाहरण द्वारा समझाइए। 

तत्त्वों का विकर्ण सम्बन्ध- द्वितीय आवर्त के पहले तीन तत्त्व (Li, Be, B) तीसरे आवर्त के तत्त्वों तथा अगले वर्ग के दूसरे तत्त्व के साथ गुणों में समानता प्रदर्शित करते हैं। इसे विकर्ण सम्बन्ध कहते हैं।
(ग) संक्षारण को उदाहरण द्वारा समझाइए। 

उत्तर - अनेक धातुओं की सतहें वायु तथा जल से प्रभावित होती हैं। आयरन को जब आर्द्र वायु में अधिक समय तक खुला छोड़ देते हैं तो इसकी सतह पर भूरे रंग का एक पपड़ीदार पदार्थ का आवरण उत्पन्न हो जाता है इसे जंग कहते हैं। जंग हाइड्रेटेड आयरन (III) ऑक्साइड (Fe2 O3.H2O) होता है। इसी प्रकार, कॉपर की आर्द्र वायु में खुला छोड़ देने पर उसकी सतह पर हरे रंग के बेसिक कॉपर कार्बोनेट का आवरण उत्पन्न हो जाता है। अतः जब धातु सतह, जल, वायु या अन्य किसी पदार्थ से प्रभावित होती है तो इसे धातु का संक्षारित होना कहते हैं। इस परिघटना को संक्षारण कहते हैं।

7. (क) विद्युत रासायनिक श्रेणी किस आधार पर बनाई गयी है? इस श्रेणी की किन्हीं दो उपयोगिताओं का उल्लेख करें।

उत्तर-  विद्युत रासायनिक श्रेणी-जब धातुओं को उनके मानक इलेक्ट्रोड विभव के बढ़ते हुए क्रम में रखा जाता है तो एक श्रेणी प्राप्त होती है जिसे धातुओं की विद्युत रासायनिक श्रेणी' कहते हैं। हाइड्रोजन को श्रेणी के मध्य में रखा गया है और इसका मानक इलेक्ट्रोड विभव शून्य माना गया है। 

विद्युत रासायनिक श्रेणी की उपयोगिता - विद्युत रासायनिक श्रेणी के प्रमुख उपयोग निम्नलिखित हैं 
1. धातुओं के विस्थापन में - विद्युत रासायनिक श्रेणी में प्रत्येक धातु अपने से नीचे स्थित धातुओं को उनके लवण के जलीय विलयन से विस्थापित कर देती है। इसका कारण यह है कि जो धातु श्रेणी में ऊपर होती है उसका मानक अपचयन विभव कम होता है तथा वह अधिक क्रियाशील होती है। जैसे
Fe + CuSO4 → FeSO4 + Cu

2. धातुओं की क्रियाशीलता ज्ञात करने में - जिस धातु का मानक अपचयन विभव जितना अधिक ऋणात्मक अथवा कम धनात्मक होता है, वह धातु उतनी ही अधिक क्रियाशील होती है। यही कारण है कि Li, Na, K आदि क्षार धातु अधिक क्रियाशील होती हैं।

(ख) मिसेल क्या है? साबुन के स्वच्छीकारक क्रिया में इसकी क्या भूमिका होती है?
उत्तर - मिसेल (Micell) की अवधारणा के आधार पर साबुन की सफाई की क्रिया-विधि - साबुन को जल में घोलने पर RCOO- तथा Na+ या K+ में आयनित हो जाता है। RCOO- के दो भाग होते हैं

(i) अध्रुवीय भाग - इसमें ऐल्किल समूह (R) एक लम्बी श्रृंखला वाला समूह है। यह जल-विरोधी तथा तेलस्नेही होता है। 

(ii) ध्रुवीय भाग - इसमें उपस्थित कार्बोक्सिलेट आयन (COO- ) ध्रुवीय होता है तथा जलस्नेही है।
 C17H35COO- के दो भाग निम्न हैं 
जब साबुन को जल में घोला जाता है, तो RCOO- समूह कोलाइडी कणों के रूप में एकत्रित हो जाते हैं जिसमें ऋणावेशित कार्बोक्सिलेट आयन जल के सम्पर्क में रहते हैं तथा अध्रुवीय ऐल्किल समूह जल से दूर रहते हैं। इस प्रकार के कणों को मिसेल कहते हैं।
जब गन्दे कपड़ों को इसमें डुबोया जाता है। तो धूल, मिट्टी के कण, तेल, चिकनाई आदि मिसेल में चले जाते हैं तथा जल के साथ बह जाते हैं तथा कपड़े साफ हो जाते हैं।

8.(क) एथिल एल्कोहल तथा एसीटिक अम्ल के दो-दो गुणों का रासायनिक समीकरण लिखिए।
उत्तर- एथिल एल्कोहल के रासायनिक गुण
1.  दहन (Combustion)-एथिल ऐल्कोहॉल (एथेनॉल) अत्यन्त ज्वलनशील द्रव है। यह वायु में नीली लौ के साथ जलकर COतथा H2O देता है।

C2H5OH + 302 2CO2 + 3H2O


2. सोडियम के साथ क्रिया - सोडियम धातु के साथ गर्म करने पर हाइड्रोजन गैस निकलती है तथा सोडियम ऐथॉक्साइड बनता है।

एसीटिक अम्ल के रासायनिक गुण
1. सोडियम धातु से क्रिया - यह सोडियम से क्रिया करके सोडियम ऐसीटेट तथा हाइड्रोजन बनाता है।
2. एथिल ऐल्कोहॉल से क्रिया (एस्टरीकरण) - जब सान्द्र H2SO4 की उपस्थिति में ऐसीटिक अम्ल को एथिल ऐल्कोहॉल के साथ 140°C तक गर्म किया जाता है, तो एस्टर (एथिल ऐसीटेट) तथा जल बनता है। इस प्रकार की क्रिया को एस्टरीकरण (esterification) कहते हैं।

 (ख) समझाइए कि आवर्त सारणी के एक वर्ग एवं एक आवर्त में परमाणु आकार में परिवर्तन किस प्रकार होता है।
उत्तर - आवर्त सारणी के वर्ग में ऊपर से नीचे आने पर परमाणु त्रिज्या ( परमाणु आकार )  बढ़ती है तथा आवर्त में बाएँ से दाएँ जाने पर परमाणु का आकार घटता है ।

अथवा

निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए:

(i) प्रतिस्थापन अभिक्रिया

प्रतिस्थापन अभिक्रिया-वह रासायनिक अभिक्रिया, जिसमें अधिक क्रियाशील तत्त्व कम क्रियाशील तत्त्व के यौगिक से उस तत्त्व के परमाणु को विस्थापित कर स्वयं उसका स्थान ग्रहण कर लेता है, प्रतिस्थापन अभिक्रिया कहलाती है।
उदाहरण जैसे आयरन, कॉपर सल्फेट के जलीय विलयन से अभिक्रिया करके कॉपर को उसके सल्फेट से प्रतिस्थापित कर फेरस सल्फेट का जलीय विलयन बनाता है  
Fe(s) + CuSO4 (aq)  FeSO4 (aq) + Cu(s) 



(ii) हाइड्रोकार्बन का आई.यू.पी.ए.सी. नामकरण

हाइड्रोकार्बन का आई.यू.पी.ए.सी. (I.U.P.A.C.) नामकरण निम्न प्रकार से किया जाता है
IUPAC नाम = पूर्वलग्न + मूल शब्द + प्राथमिक अनुलग्न + द्वितीयक अनुलग्न
(1) ऐल्केन अथवा पैराफिन (संतृप्त हाइड्रोकार्बन)- ये कार्बन और हाइड्रोजन के यौगिक हैं जिनका सामान्य सूत्र  CnH2n+2   है। आई.यू.पी.ए.सी. पद्धति में संतृप्त हाइड्रोकार्बनों को ऐल्केन कहा जाता है, अन्य सब कार्बनिक यौगिकों को ऐल्कनों का व्युत्पन्न मानकर उनका नाम रखा जाता है। भिन्न-भिन्न सजातीय श्रेणियों के नाम ऐल्केन के नाम से अनुलग्न जोड़कर रखे जाते हैं।

अतः इस पद्धति में किसी कार्बनिक यौगिक का नाम दो भागों को मिलाकर बनता है। पहले भाग को पूर्वलग्न (Prefix) और दूसरे भाग को अनुलग्न (Suffix) कहते हैं।

ऐल्केनों के नाम उनमें उपस्थित कार्बन परमाणुओं की संख्या के आधार पर होते हैं, जैसे

CH4 C2H6 C3H8 C4H10 C5H12 C6H14

 मेथेन  एथेन   प्रोपेन  ब्यूटेन    पेन्टेन     हेक्सेन

(2) ओलीफिन अथवा ऐल्कीन (असंतृप्त हाइड्रोकार्बन) इस श्रेणी का सामान्य सूत्र CnH2n है। इसमें किन्हीं दो कार्बन परमाणुओं के मध्य एक द्विबन्ध होता है।
 
 इस श्रेणी के विभिन्न यौगिकों के नाम अनुरूप ऐल्केनों के नामों से लिए गये हैं। इसके लिए ऐल्केनों (alkanes) के नाम से एन (ane) अनुलग्न हटाकर साधारण नामों के लिए इलीन (ylene) और आई. यू. पी. ए. सी. नामों के लिए ईन (ene) लगाते हैं। 

(3) ऐसीटिलीन अथवा ऐल्काइन (असंतृप्त हाइड्रोकार्बन) - इस श्रेणी का सामान्य सूत्र CnH2n-2 है । इसमें कम से कम दो कार्बन परमाणुओं के मध्य एक त्रिबन्ध होता है। इस श्रेणी के यौगिकों के आई. यू. पी. ए. सी. नाम अनुरूप ऐल्केनों के नाम से लिये गये हैं। ऐल्केन (alkane) के नाम में एन (ane) अनुलग्न हटाकर आइन (yne) जोड़ते हैं

(iii) कार्बनिक यौगिकों में योगात्मक अभिक्रिया
 उत्तर- पैलेडियम अथवा निकिल जैसे उत्प्रेरकों की उपस्थिति में असंतृप्त हाइड्रोकार्बन का हाइड्रोजन के योग द्वारा संतृप्त हाइड्रोकार्बन में बदलना संकलन अभिक्रिया कहलाती है।

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