नेत्र की समंजन क्षमता( Power of Accommodation of Eye)

ेत्र की समंजन क्षमता

( Power of Accommodation of Eye)





नेत्र लेन्स सिलियरी मांसपेशियों द्वारा पुतली के पीछे लटका रहता है। जब मांसपेशियों के तनाव में परिवर्तन होता है तो नेत्र लेन्स की फोकस दूरी बदल जाती है। जब तनाव कम होता है तो लेन्स पतला हो जाता है और हम दूर स्थित वस्तुओं को स्पष्ट देख पाते हैं। लेकिन जब हम निकट की वस्तुओं को देखते हैं तो सिलियरी मांसपेशियाँ तनाव डालकर नेत्र लेन्स की फोकस दूरी कम कर देती हैं। अतः नेत्र की सिलियरी मांसपेशियों द्वारा नेत्र लेन्स की फोकस दूरी, आवश्यकतानुसार इस प्रकार समंजित हो जाती है कि वस्तु नेत्र से चाहे दूर हो या पास, उसका प्रतिबिम्ब सदैव रोटेना पर ही बनता है। नेत्र की पेशियों द्वारा नेत्र लेन्स की फोकस दूरी को करने की क्षमता को नेत्र की समंजन क्षमता कहते हैं